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Friday, February 24, 2023

होली क्यों मनाई जाती है? Why is Holi Celebrated in Hindi 2023

होली क्यों मनाई जाती है? Why is Holi Celebrated in Hindi 2023


Happy Holi 2023: होली कब है? यह तो सबको पता होगा लेकिन क्या आप जानते हैं कि Holi क्यूँ मनाते हैं। Holi का त्यौहार क्यों मनाया जाता है? हम सभी होली के त्यौहार के बारे में जानते हैं लेकिन उसको मनाने का कारण बहुत कम लोगों को पता होता है। इसलिए आज हम आपको होली क्या है, 2023 में होली कब है, होली क्यों मनाते हैं, होली का त्यौहार क्यों मनाया जाता है? इस सब के बारे में बताएंगे। What is Holi in Hindi, Why is Holi Celebrated in Hindi, About Holi in Hindi.

Holi रंगों का त्योहार है। होली का नाम सुनते ही मन में खुशी और उल्लास की भावना उत्पन्न होती है। बच्चों से लेकर बूढों तक बड़ी धूमधाम से इस त्योहार को मनाते हैं

हमारे भारत देश में बिना भेदभाव के सभी मिलकर इस त्योहार को मनाते हैं। होली का त्योहार सिर्फ भारत ही नहीं बल्कि पूरे विश्व में मनाया जाता है। इसीलिए इसे खुशियों का त्यौहार भी कहते हैं।

होली क्या है? What is Holi in Hindi?


होली एक हिंदू वसंत त्योहार है, जो भारतीय उपमहाद्वीप से उत्पन्न होता है। होली त्यौहार को मुख्य रूप से भारत और नेपाल में पूरे हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है।

इसको "त्योहारों का त्यौहार", " रंगो का त्यौहार", " रंगिया प्रेम का त्यौहार" भी कहा जाता है। होली हिंदुओं का प्रसिद्ध और प्रमुख त्योहार है और खास करके इंडिया में सबसे ज्यादा मनाया जाता है।

लेकिन अब ये भारतीय उपमहाद्वीप और प्रवासी भारतीयों के माध्यम से एशिया और पश्चिमी दुनिया के अन्य क्षेत्रों में भी फैल गया है। मतलब अब यह पूरी दुनिया में मनाया जाने लगा है।

भारत में सभी लोग (हिंदू, मुस्लिम, सीख, ईसाई) मिलकर बिना किसी जाति स्तर के भेदभाव के इस त्योहार को मनाते हैं और एक दूसरे को रंग लगाकर स्नेह शेयर करते हैं।

हमारे देश में जितने भी त्यौहार मनाए जाते हैं। उन सब के पीछे कोई ना कोई वजह (सच्ची घटनाएं) छिपी होती है। तो आइए जानते हैं होली को मनाने के पीछे का कारण क्या है?

होली का त्यौहार क्यों मनाते हैं?


"रंगो के त्यौहार" के रूप में मशहूर ये पर्व हर साल वसंत ऋतु के समय फागुन (मार्च) के महीने में पूर्णिमा के दिन मनाया जाता है। होली का दिन बड़ा ही शुभ दिन होता है।

होली के इस त्योहार से अनेकों पौराणिक कथाएं जुड़ी हुई हैं। जिनमें प्रहलाद और उनकी भक्ति की कहानी सबसे ज्यादा प्रचलित है।

होली की कहानी:

माना जाता है कि प्राचीन भारत में राक्षस प्रवृत्ति वाला हिरण्यकश्यप नाम का राजा हुआ करता था। उसने सालों तक भगवान की प्रार्थना की। जिससे उसे अमर रहने का वरदान मिला।

हिरण्यकश्यप को ये वरदान मिला था:-

"उसे इंसान या कोई जानवर नहीं मार सकता था, ना ही किसी अस्त्र-शस्त्र से उसकी मृत्यु हो सकती थी, उसे ना घर के अंदर ना घर के बाहर, ना ही दिन में और ना ही रात में, ना ही धरती पर ना ही आकाश में मारा जा सकता था"

यह वरदान पाकर हिरण्यकश्यप को घमंड हो गया और वह खुद को ही भगवान समझ बैठा। वो लोगों से खुद की भगवान की तरह पूजा करने के लिए कहने लगा।

प्रजा के ऐसा ना करने पर उन पर अत्याचार करता था और खुद को ही उनका भगवान बताता था। दरअसल, हिरण्यकश्यप अपने भाई की मौत का बदला लेना चाहता था, जिसे भगवन विष्णु ने मारा था।

इस दुष्ट राजा का एक बेटा भी था जिसका नाम था प्रहलाद। प्रहलाद भगवान विष्णु का परम भक्त था और सिर्फ भगवान पर यकीन करता था।

असुर राजा हिरण्यकश्यप ने अपने बेटे को बहुत समझाया। लेकिन पिता के लाख मना करने के बावजूद भी प्रहलाद नहीं माना और भगवान विष्णु की पूजा करता रहा।

उसके बेटे को छोड़कर बाकी सभी लोग डर की वजह से उसकी पूजा करते थे। उसने बेटे को मनाने के बहुत प्रयास किए लेकिन वह हर बार असफल रहा।

आखिर में, बेटे द्वारा अपनी पूजा ना करने से नाराज राजा ने अपने बेटे को सभी लोगों के सामने जिंदा जलाकर मारने का निर्णय लिया, ताकि फिर कोई ऐसा दुस्साहस ना कर सके।

विष्णु भक्त प्रहलाद को मारने के लिए उसने अपनी बहन होलिका की मदद ली। होलिका को भगवान से वरदान में एक वस्त्र (शौल) मिली हुई थी जिसे पहन कर वो आग में नहीं जल सकती थी।

राजा को लगता था कि होलीका प्रहलाद को गोद में लेकर आग में बैठ जाएगी। चूँकि होलिका आग में जल नहीं सकती थी, इसलिए होलिका बाहर आ जाएगी और उसका पुत्र आग में जलकर भष्म हो जाएगा।

षडयंत्र के अनुसार, जब होलीका प्रहलाद को गोद में लेकर आज में बैठी तो प्रहलाद हाथ जोड़कर भगवान का जप करने लगा। भगवान ने उसकी प्रार्थना सुनी और तेज हवा (तूफान) चलाया, जिससे होलिका के शरीर पर से वरदान में मिला वस्त्र उड़ गया और होलिका जल गई।

लेकिन विष्णु भक्त प्रहलाद के शरीर पर आग की लपटों का कोई असर नहीं हुआ। इस तरह से बुराई की हार और अच्छाई की जीत हुई।

इसी वजह से तब से लेकर अब तक, होली का त्योहार मनाया जाता है। इसी के चलते भारत के कई प्रांतों में होली से 1 दिन पहले बुराई के अंत के प्रतीक के तौर पर होली जलाई जाती है। जिसे " होलिका दहन" कहते हैं।

होली के त्यौहार को मनाने का उद्देश्य एक दूसरे के साथ अच्छे संबंध बनाना, प्रेम और भाईचारे के साथ मिल जुल कर रहना है।

होली कब मनाई जाती है?

इसके बारे में मैं ऊपर ही बता चुका हूं। होली का पर्व वसंत ऋतु के समय फाल्गुन मास की पूर्णिमा के दिन मनाया जाता है। भारत में सभी लोग मिलकर बड़ी धूमधाम से इस त्योहार को मनाते हैं।

वसंत पंचमी के बाद ही इस त्यौहार का इंतजार शुरू हो जाता है। इस समय आप बाजारों में विभिन्न प्रकार के रंगों, पिचकारी, खिलौने और होली के सामान की दुकानें लगी हुई देख सकते हैं।

2023 में होली कब है?


2023 में होली 8 मार्च को है, जो देशभर में 8 से 9 मार्च को मनाई जाएगी। 7 मार्च की शाम को होलिका दहन होगा। उसके बाद 8 को छोटी और 9 तारीख को पूरे देश, दुनिया में होली का त्यौहार मनाया जाएगा।

होली कैसे मनाई जाती है?


होली के दिन लोग एक दूसरे को रंग लगाकर खुशियां बांटते हैं। इस दिन लोग आपसी भेदभाव को भूलकर एक दूसरे को गुलाल लगाकर होली धूलिया खेलते हैं।

सब अपने घर को सजाते हैं, पुताई करवाते हैं। चारों और लोगों के चेहरे पर मुस्कान होती है। लोग पहले से ही एक दूसरे को होली की बधाई देना शुरू कर देते हैं।

होली की शुरुआत वसंत पंचमी के बाद होती है, वसंत पंचमी के बाद लोग (होलिका दहन के लिए) लकड़ियां इकट्ठा करना शुरू कर देते हैं। जिससे होली को अच्छे से जला सके।

होली के 1 दिन पहले होली को जलाने के लिए लोग एक जगह इकट्ठे होते हैं और नाच गाकर होली में आग लगा देते हैं। होली जलती रहती है और लोग चारों तरफ नाचते रहते हैं।

होली की आग में लोग गहुँ और जौ की बालियों को शेखते हैं। कुछ लोग गन्ना भी लाते हैं और उसे आग में भुन कर खाते हैं। इसी को होलिका दहन कहा जाता है।

होली कैसे मनाए?


होली कैसे मनाई जाती है, इसके बारे में तो हम जान चुके हैं। लेकिन होली मनाने के कई तरीके होते हैं। गलत तरीके अपनाने से हमारा नुकसान भी हो सकता है। इसलिए मैं आपको होली मनाने का सही तरीका बता रहा हूं।

पहले होली के रंग प्राकृतिक चीजों (जैसे फूल) से बनते थे, उन्हें गुलाल कहा जाता था। वो रंग हमारी त्वचा के लिए नुकसानदायक ना होकर उल्टा अच्छा था क्योंकि उसमें केमिकल नहीं होता था।

लेकिन आज के समय में, बाजार में रंगो के नाम पर केमिकल से बने पाउडर को बेचा जा रहा है। जो हमारे शरीर की त्वचा के लिए बहुत ही ज्यादा नुकसानदायक है।

Chemical से बने रंग कम कीमत में जरूर मिल जाते हैं लेकिन यह हमारी सेहत के लिए (खासकर के बच्चों के लिए) हानिकारक होते हैं। इसीलिए चंद पैसों के लालच में केमिकल पाउडर को खरीदने से बचें।


होली के इस्तेमाल पर असली रंगो का और कम से कम पानी का इस्तेमाल करें। पानी की कमी दिन प्रतिदिन बढ़ती ही जा रही है। इसीलिए बेकार में पानी व्यर्थ ना बहाएं।

किसी के चेहरे पर पक्का रंग ना लगाएं और हो सके तो पक्के रंग का इस्तेमाल ना के बराबर करें। क्योंकि पक्के होली के रंग को स्किन या कपड़ों से छुड़ाने में बहुत मुश्किल होती है।

किसी को चोट ना पहुंचाएं, सभी के साथ प्यार से होली खेले और किसी का दिल ना दुखाए। देखना सबके साथ मिलकर होली खेलने का मजा कुछ और ही होगा।

होली के रंग


पहले होली के रंग टेसू, पलाश के पत्तों और फूलों से बनाए जाते थे। इन रंगों को गुलाल कहा जाता था। हिरण प्राकृतिक होते थे और त्वचा को कोई नुकसान नहीं पहुंचाते थे।

लेकिन धीरे-धीरे रंगो की परिभाषा बदलती गई। आज के समय में रंगो के नाम पर कठोर रसायन का उपयोग होता है, जो मानव जीवन के लिए नुकसानदायक है।

केमिकल से बने रंगों से कई बीमारियां हो जाती है। इसीलिए इन खराब रंगो के चलते कई लोगों ने होली खेलना छोड़ दिया है। हमें इस त्यौहार को पुराने स्वरूप में ही मनाना चाहिए।

होली के रंगों को छुड़ाने के झंझट से बचने के लिए, बेहतर है कि आप कच्चे रंगों का प्रयोग करें जो आसानी से बिना किसी परेशानी के छूट जाएं।

होली का महत्व


Holi Importance in Hindi: होली का त्यौहार बुराई का खात्मा या फिर बुराई पर जीत का प्रतीक है। इस त्यौहार को मुख्य रूप से बुराई के अंत के प्रतीक के रूप में ही मनाया जाता है। ये त्योहार कठिनाइयों से लड़ना और उसका सामना करना सिखाता है।

भक्त प्रहलाद की तरह, अगर हमें अपने भगवान पर पूरा विश्वास है तो दुनिया की कोई भी ताकत हमारा बुरा नहीं कर सकती। हमें ईश्वर पर विश्वास है तो ईश्वर हमेशा हमारे साथ हैं।

यह त्यौहार आपस में भाईचारा बढ़ाता है और हमारे आपसी मतभेद को मिटाने में अहम भूमिका निभाता है। समाज में फैली बुराइयों को दूर करने में इस त्यौहार का बहुत महत्व है।

होली का इतिहास


होली का त्यौहार अपनी सांस्कृतिक और पारंपरिक मान्यताओं की वजह से प्राचीन समय से ही मनाया जाता रहा है। इसका उल्लेख भारत के पवित्र पुराणों में किया गया है।

होली भारत का अत्यंत प्राचीन पर्व है, जो पहले होली, होलीका या होलाका नाम से मनाया जाता था। वसंत ऋतु में हर्षोल्लास के साथ मनाये जाने के कारण इसे "हर्षोत्सव" भी कहते हैं।

होली शब्द "होलीका" से उत्पन्न हुआ है। होली हिंदुओं के लिए धार्मिक, सांस्कृतिक और पारंपरिक त्यौहार है, इसीलिए यह त्यौहार विशेष रूप से भारत और नेपाल में मनाया जाता है।

होली के इस्तेमाल को भारत के अलग-अलग प्रांतों में अलग-अलग तरीकों से मनाया जाता है। कुछ प्रांतों के रीति रिवाज बहुत अलग होते हैं तो कुछ प्रांतों के रीति रिवाज एक दूसरे से मिलते-जुलते होते हैं।

होली के इस्तेमाल को भारत के अलग-अलग प्रांतों में अलग-अलग तरीकों से मनाया जाता है। कुछ प्रांतों के रीति रिवाज बहुत अलग होते हैं तो कुछ प्रांतों के रीति रिवाज एक दूसरे से मिलते-जुलते होते हैं।

निष्कर्ष,

इस पोस्ट में हमने होली क्या है, होली कब मनाई जाती है, होली कैसे मनाई जाती है, होली कैसे मनाए, 2023 में होली कब है, होली का महत्व, होली का इतिहास और होली के रंग टॉपिक पर बात की।

मुझे उम्मीद है आप सबको मेरी यह पोस्ट पसंद आई होगी, जिसमें हमने होली के बारे में जाना और मैं उम्मीद करता हूं कि आपको इस पोस्ट से होली के बारे में सब कुछ पता चल गया होगा।

Last time, एक बार फिर कहता हूं केमिकल पाउडर की जगह प्राकृतिक रंगों का इस्तेमाल करें, पानी कम फैलाएं, आपसी भेदभाव भूल कर सबके साथ मिल जुलकर होली खेले।


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