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Tuesday, January 3, 2023

January 03, 2023

The Importance of a Diploma in Computer Science for Your Care

The Importance of a Diploma in Computer Science for Your Care

Computer science is an ever-growing field, with more opportunities than ever before. Within the tech industry, computer science professionals are some of the highest paid and most in demand. As a result, there has been a surge in individuals looking to enter this field. However, many people might not realize that being a computer scientist requires an advanced level of knowledge and training. There is no degree specific to computer science; rather, it falls under the category of Computer and Information Sciences. Instead of pursuing a Computer Science degree, you may instead want to pursue a diploma in Computer Science for your career. CERTIFICATES vs DIAPERS - WHICH IS BETTER? Knowing which program suits your needs can be challenging when faced with so many options. Both certificates and diplomas are great ways to show potential employers that you’re committed to advancing your education in a particular field. Depending on where you’re at in your career and what type of job you’re applying for will help determine which one is right for you.


The Importance of a Diploma in Computer Science for Your Care



What is a Diploma in Computer Science?

A certificate program is a short-term program that usually lasts one to two years. Students will take a set number of courses in a specific field of study, such as computer science. Earning a certificate typically requires a smaller time commitment than a degree program. A diploma program, on the other hand, is a longer and more in-depth program that can take two to four years to complete. This program is normally offered at the graduate level and is designed for people who already have a bachelor’s degree in a different field. With a diploma in computer science, you’ll be able to study all aspects of computer science and could earn credits towards a master’s program.


How to Earn a Computer Science Diploma?

Unlike a certificate program, which is a shorter and more focused program, you will need to complete a few courses with a diploma before you can graduate. The exact requirements will vary depending on the program, but you can expect to take courses in computer science programming, data structures, computer organization and architecture, and more. You will also need to complete a capstone project in order to graduate. This might entail creating a piece of software or conducting an independent research project.


Benefits of Earning a Computer Science Diploma

A computer science diploma can help you stand out in the job market. With this in-depth education, you’ll be well-equipped to enter any number of computer-related fields, including IT, software development, network engineering, and more. Earning a diploma can also help you reach your career goals faster. If you already hold a bachelor’s degree and want to pursue a master’s program, but the credits you earned aren’t transferrable, a diploma can make the process easier. You can often use the credits you earned in the diploma program to fulfill prerequisite courses for a master’s program.


How to Find the Right Program for You?

One way to find the right program for you is to think about where you are in your career and where you want to go. If your goal is to enter a specific field of computer science, you may want to consider a program that focuses on that specific area. If you’re looking for a more general education in computer science, you can also find programs that fit your needs. You can also find a program based on the length of the program and the cost. If you’re new to the field and aren’t sure where you want to go, a shorter program may be the better option. If you want to go into a specific field but need the credits to transfer to a program at a different institution, a longer program may be a better fit.


Conclusion

A computer science diploma can be a great way to gain the in-depth knowledge needed in a wide range of computer-related fields. Earning a diploma will allow you to dive deeper into computer science than a certificate and add more qualifications to your resume. Depending on the program, a computer science diploma may also be able to help you reach your career goals faster. With an advanced level of computer knowledge and a computer science diploma, you’ll be well-equipped to enter the job market and find a job that can help you thrive.

January 03, 2023

जीएसटी (GST) क्या है? पूरी जानकारी हिंदी में

जीएसटी (GST) क्या है? पूरी जानकारी हिंदी में

दोस्तों, आप सभी ने GST के बारे में सुना ही होगा। इसे केंद्र सरकार ने इसे साल 2022 में लागू किया था। GST का मतलब है गुड्स एंड सर्विस टैक्स (Good and Services Tax)। इस जीएसटी के लागू होने से पहले हम लोगों को कई तरह के टैक्स देने पड़ते थे लेकिन सरकार ने वन नेशन वन टैक्स की तर्ज पर इसे लागू किया। आज हम आपको आसान भाषा में GST को बारीकी से समझाएंगे। तो आईये जानते है, जीएसटी क्या होती है? पूरी जानकारी हिंदी में

जीएसटी (GST) क्या है? पूरी जानकारी हिंदी में

GST, एक तरीके से एक INDIRECT TAX है जो तब लगता है जब हम कोई प्रोडक्ट या सर्विस खरीदते हैं। अब आप सोचेंगे कि इस तरह से टैक्स तो हम पहले भी देते थे, फिर इसमें क्या नया है।

इसको लागु हुए 2 साल से ज्यादा समय हो गया है लेकिन आज भी कई लोग ऐसे हैं जिन्हें GST के बारे में ज़्यादा जानकारी नहीं है। तो अगर आपको भी इसके बारे में नहीं पता है और आप इसके बारे में जानना चाहते है तो आप बिलकुल पोस्ट पढ़ रहे है।

आज इसी बारे में हम डिटेल से जानेंगे कि GST दूसरे टैक्स सिस्टम से कैसे अलग है, इसे क्यों शुरू किया गया था और इसके क्या फायदे और नुक्सान हैं? GST kya hai, GST kya hota hai, Information about GST in Hindi?

जीएसटी क्या है? (What is GST in Hindi)


GST की फुल फॉर्म है Good and Services Tax, यानि वस्तु एवं सेवा कर। ये भारत में एक अप्रत्यक्ष कर है जिसका उपयोग वस्तुओं और सेवाओं की आपूर्ति पर किया जाता है।

आपको पता होगा पहले हम लोग कई तरह के टैक्स जैसे सेल्स टैक्स, एक्साइज़ टैक्स, सर्विस टैक्स पे करते थे। लेकिन अब हम सिर्फ अलग अलग तरह का GST भरते हैं।

सरकार का मकसद था कि पूरे देश में किसी भी प्रोडक्ट या सर्विस पर एक ही रेट लगाना। मतलब आप देश में किसी के कोने में रह रहे हो लेकिन किसी भी वस्तु पर आपको एक तय टैक्स ही चुकाना होगा।

GST की क्यों ज़रूरत पड़ी?


अगर आप सोच रहे हैं कि जब टैक्स सिस्टम पहले से ही था तो इसे क्यों लागू किया गया। तो दोस्तो, इसका आसान सा कारण है पुराने सिस्टम में गड़बड़ी। जी हां पुराने टैक्स सिस्टम में कमियां होने के कारण सरकार ने वन नेशन वन टैक्स का लागू किया।


मान लीजिए किसी भी फैक्टरी में कोई समान मैन्युफैक्चर हुआ फिर उसको मार्केट में बिकने के लिए निकाला गया। जैसे ही वो फैक्टरी से निकला उस पर लगा उत्पाद टैक्स जिसे अंग्रेजी में EXCISE DUTY कहा जाता है।

इसके अलावा कभी कभी सामानों पर अतिरिक्त उत्पाद शुल्क भी लगाया जाता था। जब फैक्टरी का ये माल दूसरे राज्यों में जाता था तो उस पर लगता था एंट्री टैक्स।

जब माल मार्केट में बिकता था तो उस पर VAT यानि सेल्स टैक्स लगता था। कई बार हम लोगं को पर्चेज टैक्स भी चुकाना पड़ता था। वहीं, अगर कोई LUXURIOUS सामान है तो उसपर LUXURY TAX भी लगता था।

अब अगर फैक्टरी का वो माल किसी रेस्ट्रो या होटल में बेचा रहा जा है तो सर्विस टैक्स भी हमें भरना पड़ता था। मोटा-माटी भाषा में समझें तो जब तक CONSUMER के हाथ में कोई प्रोडक्ट पहुंचता था तो उससे पहले उस पर कई तरह के टैक्स लग चुके होते थे।

GST क्यों लाया गया?

भारतीय संविधान के मुताबिक, केंद्र सरकार वस्तुओं के उत्पादन (MANUFACTURING) और सेवाओं (SERVICE) पर टैक्स लगा सकती थी जबकि राज्य सरकार को वस्तुओं की बिक्री (SALE) पर टैक्स लगाने का अधिकार था।

इसी कारण किसी भी वस्तु पर कई तरह के टैक्स लग जाते थे। कभी-कभी CONSUMER को टैक्स के ऊपर का भी टैक्स पे करना पड़ता था। इसीलिए सरकार ने एक ऐसा टैक्स तैयार किया जो PRODUCTION से लेकर SALE पर एक ही हो।

सरकार ने GST को सिर्फ एक ही आधार दिया वो है सप्लाई यानि सारे टैक्स खत्म हो गए और सिर्फ सप्लाई को टैक्स लगाने का आधार बनाया गया। संसद में संविधान संशोधन का बिल पास कराया गया और पूरे देश में सिर्फ टैक्स सिस्टम लागू हुआ जो है GST।

GST की विशेषताएं (Advantages of GST in Hindi)

GST लागू होने के बाद देश की आम जनता को काफी फायदा हुआ है क्योंकि इसके लागू होने के बाद सभी किसी भी वस्तु पर एक तय टैक्स ही लगता है।

  • अब टैक्स सिस्टम पहले से ज़्यादा आसान हो गया है।
  • आम जनता को कर के ऊपर कर नहीं चुकाना पड़ता है।
  • GST लागू होने के बाद हेराफेरी के मामलों पर भी रोक लगी है।
  • पुराने टैक्स सिस्टम में उपभोक्ता को 30-35% चुकाना पड़ता था लेकिन GST लगने के बाद टैक्स मैक्सिमम 28% लगता है।

आइए अब एक नज़र डालते हैं GST लगने से पहले सामान की टैक्स दरों और बाद के बदलावों पर।


जीएसटी क्या है? (What is GST in Hindi)

GST की फुल फॉर्म है Good and Services Tax, यानि वस्तु एवं सेवा कर। ये भारत में एक अप्रत्यक्ष कर है जिसका उपयोग वस्तुओं और सेवाओं की आपूर्ति पर किया जाता है।


आपको पता होगा पहले हम लोग कई तरह के टैक्स जैसे सेल्स टैक्स, एक्साइज़ टैक्स, सर्विस टैक्स पे करते थे। लेकिन अब हम सिर्फ अलग अलग तरह का GST भरते हैं।


सरकार का मकसद था कि पूरे देश में किसी भी प्रोडक्ट या सर्विस पर एक ही रेट लगाना। मतलब आप देश में किसी के कोने में रह रहे हो लेकिन किसी भी वस्तु पर आपको एक तय टैक्स ही चुकाना होगा।


GST की क्यों ज़रूरत पड़ी?

अगर आप सोच रहे हैं कि जब टैक्स सिस्टम पहले से ही था तो इसे क्यों लागू किया गया। तो दोस्तो, इसका आसान सा कारण है पुराने सिस्टम में गड़बड़ी। जी हां पुराने टैक्स सिस्टम में कमियां होने के कारण सरकार ने वन नेशन वन टैक्स का लागू किया।


चलिए आपको उदाहरण के साथ पुराना सिस्टम समझाती हूं,


मान लीजिए किसी भी फैक्टरी में कोई समान मैन्युफैक्चर हुआ फिर उसको मार्केट में बिकने के लिए निकाला गया। जैसे ही वो फैक्टरी से निकला उस पर लगा उत्पाद टैक्स जिसे अंग्रेजी में EXCISE DUTY कहा जाता है।


इसके अलावा कभी कभी सामानों पर अतिरिक्त उत्पाद शुल्क भी लगाया जाता था। जब फैक्टरी का ये माल दूसरे राज्यों में जाता था तो उस पर लगता था एंट्री टैक्स।


जब माल मार्केट में बिकता था तो उस पर VAT यानि सेल्स टैक्स लगता था। कई बार हम लोगं को पर्चेज टैक्स भी चुकाना पड़ता था। वहीं, अगर कोई LUXURIOUS सामान है तो उसपर LUXURY TAX भी लगता था।


अब अगर फैक्टरी का वो माल किसी रेस्ट्रो या होटल में बेचा रहा जा है तो सर्विस टैक्स भी हमें भरना पड़ता था। मोटा-माटी भाषा में समझें तो जब तक CONSUMER के हाथ में कोई प्रोडक्ट पहुंचता था तो उससे पहले उस पर कई तरह के टैक्स लग चुके होते थे।


GST क्यों लाया गया?

भारतीय संविधान के मुताबिक, केंद्र सरकार वस्तुओं के उत्पादन (MANUFACTURING) और सेवाओं (SERVICE) पर टैक्स लगा सकती थी जबकि राज्य सरकार को वस्तुओं की बिक्री (SALE) पर टैक्स लगाने का अधिकार था।


इसी कारण किसी भी वस्तु पर कई तरह के टैक्स लग जाते थे। कभी-कभी CONSUMER को टैक्स के ऊपर का भी टैक्स पे करना पड़ता था। इसीलिए सरकार ने एक ऐसा टैक्स तैयार किया जो PRODUCTION से लेकर SALE पर एक ही हो।


सरकार ने GST को सिर्फ एक ही आधार दिया वो है सप्लाई यानि सारे टैक्स खत्म हो गए और सिर्फ सप्लाई को टैक्स लगाने का आधार बनाया गया। संसद में संविधान संशोधन का बिल पास कराया गया और पूरे देश में सिर्फ टैक्स सिस्टम लागू हुआ जो है GST।


GST की विशेषताएं (Advantages of GST in Hindi)

GST लागू होने के बाद देश की आम जनता को काफी फायदा हुआ है क्योंकि इसके लागू होने के बाद सभी किसी भी वस्तु पर एक तय टैक्स ही लगता है।


अब टैक्स सिस्टम पहले से ज़्यादा आसान हो गया है।

आम जनता को कर के ऊपर कर नहीं चुकाना पड़ता है।

GST लागू होने के बाद हेराफेरी के मामलों पर भी रोक लगी है।

पुराने टैक्स सिस्टम में उपभोक्ता को 30-35% चुकाना पड़ता था लेकिन GST लगने के बाद टैक्स मैक्सिमम 28% लगता है।

आइए अब एक नज़र डालते हैं GST लगने से पहले सामान की टैक्स दरों और बाद के बदलावों पर।


GST का घरेलु खर्च पर असर


Category Before GST After GST

Food 12.5% 5.00%

Entertainment 30.00% 28.00%

Transportation 15.00% 18.00%

Household – Personal Care 28.00% 18.00%

Mobile Phone 15.00% 18.00%

Insurance Premium 15.00% 18.00%

Credit Card Bills 15.00% 18.00%

​तीन प्रकार से लगेगा जीएसटी - Three Types Of GST

सेन्ट्रल गुड्स एंड सर्विसेज टैक्स - Central Goods and Service Tax (CGST)

स्टेट गुड्स एंड सर्विसेज टैक्स - State Goods and Service Tax (SGST)

इंटिग्रेटेड गुड्स एंड सर्विसेज टैक्स - Integrated Goods and Service Tax (IGST)

चलिए एक उदाहरण से समझते हैं कि ये तीन टैक्स कैसे IMPOSE होंगे।


जब कोई सामान एक राज्य में बनाया जा रहा है और उसे उसी राज्य में सप्लाई किया जा रहा है तो उस सामान पर CGST और SGST लगेगा। मतलब केंद्र और राज्य सरकार में टैक्स बराबर-बराबर शेयर होगा।


वहीं, अगर कोई सामान एक राज्य में बन रहा है और उसे दूसरे राज्य में सप्लाई किया जा रहा है तो उसपर IGST लगेगा। इस टैक्स को केंद्र सरकार लेगी।


जीएसटी की दर (Rate Of GST in Hindi)

देश की जीएसटी काउंसिल ने जीएसटी के लिए पांच अलग अलग स्लैब तय किए गए हैं। जो कि हैं 0%, 5%, 12%, 18% और 28%। जो वस्तुओं ज़रूरत की है उन पर जीरो फीसदी कर और जो वस्तु कम ज़रूरी है उन पर ज़्यादा टैक्स।


जैसे कच्चा माल (अनाज, सब्जियों )पर जीरो फीसदी टैक्स लगता है। वहीं एयर कंडीशनर, रेफ्रिजिरेटर, मेकअप आदि पर 28 फीसदी जीएसटी लगता है। बता दें कि काउंसिल ने शिक्षा और स्वास्थ्य को जीएसटी के दायरे से बाहर रखा है।


जीएसटी में टैक्स कैसे दिया जाता है?

चलिए एक छोटे से उदाहरण से समझते हैं।


मान लीजिए एक शर्ट का कपड़ा किसी फैक्टरी में बना और वहां से CONSUMER के पास पहुंचा। तो सबसे पहले माल WHOLESALER के पास जाएगा। WHOLESALER के पास से RETAILER के पास पहुंचेगा और आखिर में CONSUMER के पास।


जब शर्ट का कपड़ा WHOLESALER के पास गया तो कंपनी ने WHOLESALER से GST वसूलेगी। WHOLESALER, RETAILER पर GST लगाएगा। और इसी तरह RETAILER अपने ग्राहक से जीएसटी लेगा।


टैक्स क्रेडिट कैसे मिलेगी?

GST सिस्टम में टैक्स क्रेडिट भी एक टर्म है। चलिए उसका फंडा समझते हैं।


बता दें कि ऊपर दिए गए उदाहरण में WHOLESALER और RETAILER ने जो टैक्स दिया वो उन्हें टैक्स क्रेडिट के रूप में वापिस मिल जाएगा। जो उन्हें सरकार देगी।


ये पैसा उन्हें तब मिलेगा जब वो GST का मंथली रिटर्न भरेंगे। इसी में उनके द्वारा भरा गया टैक्स उनको वापिस मिल जाएगा। यही पूरा प्रोसेस टैक्स क्रेडिट सिस्टम है। इसके लिए WHOLESALERS, RETAILERS को बाकायदा अपने पास रसीद रखनी पड़ेगी।


जीएसटी रिटर्न - GST Returns in Hindi

आसान सी भाषा में समझते हैं कि जैसे आप इनकम टैक्स रिटर्न फाइल करते हैं वैसे ही जीएसटी रिटर्न होता है। दरअसल, जीएसटी सिस्टम में कोई भी कालाबाजारी न हो और कारोबारियों के बिजनेस पर पूरी तरह से नज़र रखी जा सके।


इसीलिए GST RETURN भरना होता है। इससे सरकार के पास कुल बिक्री, खरीददारी और टैक्स देनदारी का पूरा ब्यौरा सरकार के पास पहुंचता है। इसी के बाद ही बिजनेसमैन को टैक्स क्रेडिट होता है।


जीएसटी में रजिस्ट्रेशन कैसे कराएं?

जीएसटी रिटर्न करने के लिए GST वेबसाइट www.gst.gov.in पर क्लिक करें। यहां आपसे कुछ ज़रूरी जानकारियां मांगी जाएंगी, उन्हें भर दें। जैसे ही आपका आवेदन मंजूर होगा और एक GSTIN जेनरेट करके भेजा जाएगा।


इसके अलावा आपको एक provisional Login ID and password भी मिलेगा जिसके ज़रिए आप पोर्टल में लॉग-इन कर सकेंगे।


किसे रजिस्ट्रेशन करवाना है ज़रूरी?

साफ तौर पर कहें तो जिनकी सालाना इनकम 50 लाख से ज़्यादा है उनके लिए रजिस्ट्रेशन करना अनिवार्य है। वहीं, पूर्वोत्तर भारत के राज्यों के बिजनेसमैन के लिए इनकम की सीमा 20 लाख तय की गई है।


Conclusion,

दोस्तों, हमने इस आर्टिकल में बेहद आसानी सी भाषा में आपको जीएसटी का फंडा समझाने की कोशिश की है। उम्मीद है कि आपको पूरा सिस्टम समझ आया होगा। ज़रूरत के मुताबिक हमने ज़्यादातर टॉपिक्स को इसमें कवर भी किया है और आपको समझाने के लिए उदाहरणों का भी इस्तेमाल किया है।


हमने सीखा कि जीएसटी क्या है, क्यों लागू किया, इसके फायदे क्या है, कितने प्रकार का होता, घरेलु उत्पादों पर क्या प्रभाव पड़ा और जीएसटी रिटर्न कैसे फाइल करते हैं?


January 03, 2023

SIP क्या है और इससे पैसा कैसा कमाएं?

SIP क्या है और इससे पैसा कैसा कमाएं?

क्या आप चाहे कर भी पैसे की बचत नहीं कर पा रहे है, क्या आप saving करने का सही तरीका जानना चाहते है तो आप बिल्कुल सही पोस्ट पढ़ रहे है। आज मैं आपको इन्वेस्टमेंट करने का एक स्मार्ट तरीका बताउंगी, ताकि आप आने वाले में अपने सपनो को साकार कर सको। इससे आप हर महीने थोड़े-थोड़े पैसे इन्वेस्ट करके मोटी रकम हासिल कर सकते हैं। आज हम एसआईपी के बारे में डिटेल में जानेंगे। 

SIP क्या है, SIP में निवेश कैसे करें और कैसे आप इससे लाखों रूपए कमा सकते हैं?

दिन-रात ऑफिस में 9-6 जॉब करने और हर महीने अपनी सैलेरी से थोड़ी-थोड़ी बचत करने से, अगर आपको लगता है कि कुछ सालों में आप अपना घर और गाड़ी खरीद पाएंगे तो ये महज़ एक सपने भर जैसा है।

SIP क्या है और इससे पैसा कैसा कमाएं?

मैं आपको ये नहीं कह रही हूं कि सेविंग्स न करें। बल्कि मेरा इससे मतलब ये है कि saving सही तरीके से करें। अपने पैसों की बचत एक स्मार्ट तरीके से करें।

आप सब में से कई लोग ऐसे होंगे जो पहले से ही कहीं न कहीं इन्वेस्टमेंट कर रहे हैं। लेकिन क्या आप सही जगह और सही तरीके से इन्वेस्टमेंट कर रहे हैं?

आज हम आपको सही तरीके से बचत और इन्वेस्टमेंट करने के बारे में विस्तार से बतायेंगे। तो आईये जानते है, एसआईपी क्या है और इससे पैसे कैसे कमाए, SIP kya hai, SIP kya hota hai, SIP se paisa kaise kamaye, what is SIP in Hindi

एसआईपी क्या है? (What is SIP in Hindi)

SIP की फुल फॉर्म है सिस्टेमेटिक इन्वेस्टमेंट प्लान (Systematic Investment Plan). ये हर महीने एक निश्चित रकम को आपकी पसंदीदा Mutual Fund स्कीम में डालने का अवसर देता है।


आमतौर पर यह इक्विटी म्यूचुअल फंड (Mutual Fund) में शुरू किया जाता है। कई लोग ऐसे होते हैं जो बैंक में पैसा जमा करवाते हैं ताकि उन्हें अच्छा ब्याज़ मिलता रहे तो वहीं कुछ लोग फिक्स डिपोजिट करवाते हैं।


लेकिन SIP एक ऐसा बेहतरीन तरीका है जिससे आप हर महीने थोड़े-थोड़े पैसे इन्वेस्ट करके अच्छा पैसा कमा सकते हैं। हम कह सकते हैं कि SIP, MUTUAL FUND में इन्वेस्ट करने का एक स्मार्ट तरीका है।


पिछले कई सालों से MUTUAL FUND में SIP के जरिए इन्वेस्टमेंट काफी बढ़ा है। इसका सबसे बड़ा कारण है कि इसमें अच्छा रिटर्न मिल जाता है।


SIP का मतलब होता है Systematic Investment Plan यानि व्यवस्थित निवेश योजना। आसान सी भाषा में समझें तो "तरीके से निवेश"। इसमें एक निश्चित समय के अंतराल में एकनिश्चित रकम निवेश की जाती है।


मान लीजिए आप 1 लाख रूपए निवेश करना चाहते हैं तो आप इस राशि को एक साथ निवेश न करके सिप मैथड़ के जरिए हर महीने कुछ अमाउंट जमा करेंगे। जैसे आप हर महीने 5 या 10,000 रूपए जमा कर सकते हैं।


जब आप हर महीने के हिसाब से एक लाख रूपए इंन्वेस्ट कर देंगे तो आप कुछ समय बाद अच्छी खासी रकम पा सकेंगे। एक समय अंतराल में छोटी-छोटी रकम के ज़रिए आप अपने बड़े लक्ष्य को हासिल कर सकते हैं।


जॉब करने वाले लोगों के लिए SIP के ज़रिए इन्वेस्ट करना एक बढ़िया ऑप्शन है।


सिप SIP के फायदे (Advantages of SIP in Hindi)

आप सिर्फ 500 रूपए से सिप की शुरूआत कर सकते हैं।

ये पैसे कमाने का अच्छा तरीका है।

इन्वेस्टर्स किसी भी समय निवेश करना बंद कर सकते हैं।

इसमें निवेशकों को अच्छा रिटर्न मिलता है।

सिप में इन्वेस्ट की गई मनी पर इनकम टैक्स में छूट भी मिलती है।

सिप में इन्वेस्ट करना सेफ एंड इज़ी है।

इन्वेस्टर्स अपने हिसाब से SIP को कस्टमाइज़ भी कर सकते हैं। जैसे इन्वेस्ट की अमाउंट, इन्स्टॉलमेंट की तारीख आदि।

इन्वेस्टर्स अपने हिसाब से निर्धारित की गई रकम को घटा-बढ़ा सकते हैं।

आपका GOAL पूरा होने के बाद आप किसी भी वक्त SIP को बंद करवा सकते हैं।

इन्वेस्टर्स को अलर्ट SIP के ज़रिए शेयर बाज़ार की जानकारी मिलती है जिसमें शेयर बाज़ार में कमज़ोरी आने पर ज़्यादा मनी इन्वेस्ट करने का ऑप्शन मिलता है।

ज़रूरत पड़ने पर निवेशक बीच में भी अपना पैसा निकाल सकते हैं।

इसमें कम्पाउंडिंग का फायदा मिलता है। जैसे अगर आपके लंबे समय तक म्युचुअल फंड में इन्वेस्ट कर रहे हैं और आप रिटर्न कमाते हैं और आपके इसके रिटर्न पर भी रिटर्न मिलता है।

SIP कैसे काम करता है?

जब भी आप म्यूचुअल फंड में निवेश करने जाते हैं तो आपको एक फॉर्म भरने के लिए दिया जाता है। जहां आप पूछी गई जानकारी के बाद SIP के ऑप्शन पर टिक कर दें।


इसके बाद आपको एक ऑटो-डेबिट का भी ऑप्शन दिया गया होगा। जिसका मतलब है कि हर महीने एक तय की गई तारीख पर आपके अकाउंट से पैसे कट जाएंगे (जितना आप इन्वेस्ट करना चाहते हैं)।


SIP इन्वेस्टमेंट क्या है?

SIP Investment में हर दिन, हर सप्ताह, हर महीने के अंतराल में इन्वेस्टमेंट की जा सकती है। यानि आप एक व्यवस्थित तरीके से इसमें निवेश कर पाते हैं।


आप म्यूचुअल फंड में एडवांस चेक या ऑनलाइन इंस्ट्रक्शन के जरिए भी सिप शुरू कर सकते हैं। तो चलिए आपको इन्वेस्टमेंट कैसे करनी है?


SIP में निवेश (Investment) कैसे करें?

सबसे पहले आपके पास ये कुछ ज़रूरी दस्तावेज़ होने चाहिए।


पैन कार्ड

आधार कार्ड

एड्रेस प्रूफ

चैक बुक

पासपोर्ट साइज़ फोटो

इसके बाद आपको KYC प्रोसेस करवाना होता है। जिसके लिए आप अपना नाम, जन्मतिथि, मोबाइल नंबर और पता जैसी ज़रूरी जानकारी देती होती है। ये प्रोसेस ऑनलाइन भी करवाया जाता है।


जैसे ही आपका KYC का प्रॉसेस पूरा हो जाए, तो आप फंड हाउस की ऑफिशियल वेबसाइट पर जाएं। (जहां आप इन्वेस्ट करना चाहते हैं)

अपना अकाउंट रजिस्टर करें।


इसके बाद आपकी बेसिक जानकारी के लिए आपको एक फॉर्म भरने को दिया जाएगा।


यूज़र नेम और पासवर्ड सेट करें।

बैंक की डिटेल्स ज़रूर भरें।

आप हर महीने जितनी भी अमाउंट इन्वेस्ट करना चाहते हैं उसकी जानकारी दें और साथ ही इन्स्टॉलमेंट की तारीख भी सिलेक्ट करें।

ये पूरा प्रोसेस करने के 30-40 दिन बाद आपका सिप (SIP) शुरू हो जाएगा।


SIP से पैसे कैसे कमाए?

जैसा हमने आको ऊपर भी बताया है कि सिप कंपाउंडिंग के प्रिंसीपल पर काम करता है। इसीलिए इसे अपनी इनकम बढ़ाने का एक स्मार्ट तरीका माना जाता है।


हम आपको कुछ ऐसी टिप्स देंगे जिनसे आपको SIP में फायदा होगा।


हमेशा किसी मल्टी-कैप या 5 स्टार रेटेज फंड हाउस में ही इन्वेस्ट करें।

इन्वेस्ट करने से पहले एक अच्छे इन्वेस्टमेंट एडवाइज़र से सलाह लें।

कोशिश करें कि आप मंथली माध्यम से ही SIP करें।

कम समय के अंतराल में इन्वेस्ट करें लेकिन लंबे समय तक करें ताकि आपको अच्छा-खासा रिटर्न मिलें। कम से कम 5-6 साल तक पैसे विदड्रॉ न करें।

5 साल में आपका पैसा दोगुना और 10 साल में रिटर्न मिल सकता है।

अगर आप मंथली इन्वेस्ट कर रहे हैं तो ऐसे में मार्केट क्रैश होने पर भी पैसा न निकालें।

कम पैसों से इन्वेस्ट करना शुरू करें।

क्या आप भी Sip के द्वारा एक अच्छी Income करना चाहते है यह पैसे कमाने के एक अच्छा और आसान तरीका है।


आखिर में,

दोस्तो, आज हमने SIP के बारे में डिटेल में जाना। कैसे आप SIP के ज़रिए इन्वेस्ट करके अच्छा-खासा पैसा कमा सकते हैं। ये एक ऐसा स्मार्ट तरीका है जिसे ज़रिए इन्वेस्ट करके अपने लक्ष्यों, सपनों को पूरा कर सकते हैं।


मिडिल क्लास फैमिलेज में अक्सर बचत को लेकर समस्याओं का सामना करना पड़ता है। लेकिन हमारे ऊपर इस आर्टिकल में बताएनुसार इन्वेस्ट करने पर आप इन्वेस्ट भी कर सकेंगे और पैसे भी कमा सकेंगे।


ध्यान रहें कि किसी के बहकावे में आकर गलत स्कीमों में कभी भी इन्वेस्ट न करें।

January 03, 2023

Stock Market क्या है और इससे कमाई कैसे होती है?

Stock Market क्या है और इससे कमाई कैसे होती है?

आज की इस कॉम्पीटिशन भरी दुनिया में हर कोई अमीर बनना चाहता है। इसके लिए लोग दिन-रात मेहनत भी करते हैं। लोग अपनी कमाई के कुछ हिस्से को सेव भी करते हैं। लेकिन अमीर बनने के लिए सिर्फ इतना ही काफी नहीं होता। अगर हम अपने भविष्य को सिक्योर करना चाहते हैं तो हमे कुछ जगह investments भी करनी पड़ती है। जैसे stock market, share marketing, mutual fund आदि। इस पोस्ट में हम जाएँगे कि, स्टॉक मार्किट क्या है और इससे कमाई कैसे होती है? What is Stock Market in Hindi?

अगर आप stock market में सही तरह से पैसे इन्वेस्ट करते हैं तो आपको बहुत फायदा हो सकता है। लेकिन वहीं, अगर आप बिना सोचे समझे मार्केट में पैसे इन्वेस्ट करते हैं तो आपके लिए घाटे का सौदा भी बन सकता है।


Stock Market क्या है और इससे कमाई कैसे होती है?

इसीलिए ज़रूरी है आपको इन मार्केट्स की सही तरह से जानकारी हो। आज इस आर्टिकल में हम आपको स्टॉक मार्केट की जानकारी देंगे, ताकि आप इसके बारे में अच्छे से समझ सक


शेयर बाजार क्या है और इससे पैसे कैसे कमाए?

आईये जानते है,स्टॉक मार्किट क्या है, स्टॉक मार्किट क्या होता है, stock market kya hai, share market kya hota hai, stock market se paise kaise kamaye, stock market se kamai kaise hoti hai इत्यादि।

Share market, stock market or equity market ये सब एक ही होता है इसीलिए कंफ्यूज़ ना हो। ये वो मार्केट होती है जहां आप किसी कंपनी के शेयर को खरीद सकते हो या बेच सकते हो।


शेयर खरीदने का मतलब है कि आप उस कंपनी की कुछ फीसदी ऑनरशिप खरीद रहे हो। मतलब कि शेयर खरीदने के बाद आप उसे कंपनी के कुछ फीसदी हिस्से मालिक बन जाते हैं।


अब अगर कंपनी को प्रॉफिट होगा तो आपको भी होगा और अगर उस कंपनी का नुकसान हुआ तो आपको भी नुकसान सहना पड़ेगा। एक बेहद ही आसान से उदाहरण के साथ समझते हैं।


मान लीजिए आप एक स्टार्टअप खोलने का प्लान कर रहे हैं, आपके पास 10,000 रूपए हैं लेकिन उस 10,000 रूपए में आपका काम नहीं चलेगा। तो आपने अपने एक दोस्त का आपके स्टार्टअप में 10,000 रूपए इंवेस्ट करने को कहा।


यानि 10,000 आपका शेयर और 10,000 आपको दोस्त का शेयर। अब आप दोनों दोस्त 50-50 कंपनी के ऑनर बन गए हैं। भविष्य में कोई भी फायदा या नुकसान आप दोनों दोस्तों में बराबर बराबर शेयर होगा।


स्टॉक मार्केट में यही एक बड़े स्केल पर होता है। जहां एक कंपनी अपने शेयर पूरी दुनिया में किसी को भी बेच सकती है।


शेयर/स्टॉक मार्केट का इतिहास

इस मार्केट की शुरूआत आज से करीब 400 साल पहले की गई थी। Netherlands की Dutch east India company ने पहली बार शेयर मार्केट के कॉन्सेप्ट की शुरूआत की थी। दरअसल, उस वक्त ट्रेडिंग जहाजों के ज़रिए होती थी।


साथ ही सभी देशों की खोज भी नहीं हो पाई थी। ऐसे में कंपनी समुद्रों के रास्ते अपने जहाजों को ट्रेडिंग के लिए भेजते थे। इन जहाजों में किसी एक व्यक्ति का पैसा नहीं लगा होता था।


तो डच ईस्ट इंडिया कंपनी ने लोगों से इन जहाजों में पैसा लगाने की अपील की थी और लोगों से कहा था कि जब इन जहाजों के ज़रिए ट्रेडिंग में फायदा होगा तो आपके लगाए हुए पैसे मुताबिक आपसे भी प्रॉफिट शेयर किया जाएगा।


हालांकि, उस दौर में ऐसा करना काफी रिस्की होता था क्योंकि ज़्यादातर जहाज वापिस लौट कर नहीं आते थे। इसीलिए ये तय किया गया लोग अब multiple investment करें।


यानि एक व्यक्ति एक जहाज में नहीं 5-6 जहाजों में पैसा इन्वेस्ट करें ताकि किसी एक जहाज से प्रॉफिट आने की उम्मीद हो। इसी तरह से स्टॉक मार्केट बनने लगी और लोग कई जगह अपना पैसा लगाने लगे।


जिस जगह से जहाज ट्रेडिंग के लिए निकलते थे, अब उस जगह bid system शुरू हो गया। धीरे-धीरे जहाजों के पैसे की ज़रूरत पूरी होने लगी और लोगों को प्रॉफिट मिलने लगा।


वहीं से शुरू हुआ स्टॉक मार्केट का ये कॉन्सेप्ट, काफी पॉपुलर हो गया। आज हर देश स्टॉक मार्केट पर निर्भर है। हर कंपनी का अपना एक stock exchange होता है। चलिए stock exchange को समझते हैं।


Stock exchange

Stock exchange वो जगह है जहां लोग कंपनी के शेयर्स को खरीदते और बेचते हैं। मार्केट को दो हिस्सों में बांटा गया है।


प्राइमरी मार्केट

सेकेंडरी मार्केट

प्राइमरी मार्केट में कंपनियां अपने शेयर्स बेचती हैं। उनके शेयर्स की वेल्यू डिमांड पर डिपेंड करती है। यानि अगर किसी कंपनी के प्रोडक्ट्स की डिमांड ज़्यादा है और वो कंपनी अपने शेयर्स को बेचती है तो उनकी वैल्यू ज़्यादा होगी।


एक कंपनी के कितने शेयर्स हो सकते हैं?

ध्यान रखने वाली बात ये है कि कंपनी के हर शेयर की वेल्यू बराबर होती है। एक कंपनी अपने कितने भी शेयर लोगों में बांट सकती है लेकिन उन सबकी वेल्यू बराबर होगी।


मान लीजिए कोई कंपनी 1 लाख रूपए की है और अपने 1 लाख शेयर बेचना चाहती है और कंपनी हर शेयर की कीमत 1 रूपए भी रख सकती है या फिर 50 पैसे में 2 लाख शेयर्स बना सकती है।


इसके अलावा ये भी ध्यान रखना चाहिए कि कोई भी कंपनी कभी भी अपने पूरे शेयर्स नहीं बेचती। अपनी ऑनरशिप बचाए रखने के लिए कंपनी हमेशा ज़्यादा शेयर्स अपने पास रखती है और कुछ शेयर्स ही बाहर बेचती है।


जिसके पास ज़्यादा शेयर्स होते हैं वहीं कंपनी के लिए निर्णय लेता है। जैसे फेसबुक कंपनी के फाउंडर मार्क जकरबर्ग के पास कंपनी के 60 फीसदी शेयर्स हैं और 40 फीसदी शेयर्स दूसरों के पास हैं। ऐसे में मार्क जकरबर्ग ही सारे निर्णय ले सकता है।


चलिए अब समझते हैं सेकेंडरी मार्केट


सेकेंडरी मार्केट में जिन लोगों ने किसी कंपनी के शेयर्स खरीदें हो वो बाहर जाकर शेयर्स को बेच सकते हैं। जैसे आपने किसी कंपनी के 10 फीसदी शेयर खरीदें।


आप बाहर जाकर अपने शेयर्स के पांच फीसदी शेयर्स बेच सकते हैं। ये मार्केट सेकेंडरी मार्केट होती है। अब ये आप पर निर्भर करता है कि डिमांड के हिसाब से वो शेयर आप ज़्यादा पैसों में बेच रहे हैं या कम पैसों में।


इंडिया की स्टॉक एक्सचेंज

भारत में दो बड़ी स्टॉक एक्सचेंज कंपनियां है।


बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज – यहां लगभग 5400 रजिस्टर्ड कंपनियां हैं।

नेशनल स्टॉक एक्सचेंज – यहां लगभग 1700 रिजस्टर्ड कंपनियां हैं।

कंपनियों की कीमत को मापने के लिए nifty और sensex होते हैं।

कंपनी अपने शेयर्स कैसे बेचती हैं?

अगर कोई कंपनी स्टॉक एक्सचेंज के ज़रिए अपने शेयर्स बेचना चाहती है तो उसे पब्लिक लिस्टिंग कहा जाता है। इसके लिए SEBI यानि SECURITIES AND EXCHANGE BOARD OF INDIA का गठन किया गया।


ये संस्था तय करती है कि आपकी कंपनी की पब्लिक लिस्टिंग होनी चाहिए या नहीं। इसके सारे नॉर्म्स पूरे होने के बाद ही कोई कंपनी अपने शेयर्स लोगों के बीच बेच पाती है।


अगर किसी कंपनी की मार्केट में डिमांड नहीं है तो SEBI उसे पब्लिक लिस्टिंग लिस्ट से हटा देती है।


शेयर्स कैसे खरीदें?

पहले शेयर्स खरीदने का प्रोसेस थोड़ा सा अलग होता था लेकिन आजकल इंटरनेट के ज़माने में आपको तीन अकाउंट्स की ज़रूरत पड़ती है।


बैंक अकाउंट

ट्रेडिंग अकाउंट

डीमैट (DEMAT) अकाउंट

डीमैट अकाउंट में खरीदे गए स्टॉक्स डिजिटल फॉर्म में स्टोर होते हैं। इसीलिए डीमैट अकाउंट शेयर्स बाजार में बहुत ज़रूरी होता है। जो लोग मार्केट में शेयर खरीदते हैं उन्हें रिटेल इन्वेस्टर (RETAIL INVESTOR) कहा जाता है।


रिटेल इन्वेस्टर को हमेशा एक ब्रोकर की ज़रूरत पड़ती है।


ब्रोकर क्या है?

ब्रोकर बायर्स और सेलर्स दोनों को मिलाता है। ठीक वैसे ही जैसे आप प्रोपर्टी लेने के वक्त किसी ब्रोकर का सहारा लेते हैं। आजकल कई ऐप्स को ब्रोकर के तौर पर बनाया गया है।


यहां तक कि आपका बैंक भी ब्रोकर की भूमिका निभा सकता है। जब आप किसी ब्रोकर के ज़रिए मार्केट में पैसे इन्वेस्ट करते हैं तो उसमें से कुछ अमाउंट आपको ब्रोक्रेज फीस के तौर पर देनी पड़ती है।


ये अमाउंट 0.5 से 1% की बीच में होती है। ऐसे में जब आप लॉन्ग टर्म में पैसे इन्वेस्ट करते हैं तो आपको ब्रोक्रेज फीस कम पड़ती है।


क्या शेयर मार्केट घाटे का सौदा है?

जी नहीं, ऐसा ज़रूरी नहीं है कि शेयर मार्केट में आपको घाटा ही होगा। अगर आप सोच समझ कर किसी कंपनी के शेयर खरीदते हैं तो आपको काफी फायदा भी हो सकता है।


जैसे मान लीजिए आपने किसी कंपनी के 1 रूपए की कीमत में 1,000 शेयर्स खरीदें है। अब उन शेयर्स की कीमत डिमांड के हिसाब से बढ़ गई है और आपने इस शेयर को 2 रूपए के हिसाब से बेच दिया तो ऐसे में आपको 1,000 रूपए का प्रोफिट हो गया।


Stock Market से कमाई कैसे होती है?

स्टॉक मार्किट से पैसे कैसे कमाए? ये अहम टॉपिक है। शेयर बाजार में पैसे कमाने के लिए विवेक, समझ और रणनीति बहुत ज़रूरी होती है। इसके अलावा आपमें patience यानि धैर्य भी होना चाहिए।


चलिए आपको शेयर मार्केट में कामयाब होने के कुछ मूलमंत्र बताते हैं ताकि आप मोटा मुनाफा कमा सकें।


1. अपना होमवर्क पूरा करें

इसका मतलब ये है कि जब भी आप किसी कंपनी में इन्वेस्ट करने का प्लान करें तो पहले उस कंपनी के बारे में अच्छे से स्टडी करें। उस कंपनी की मार्केट में डिमांड देखें।


मान लीजिए, अब गर्मियों का सीज़न आने वाला है तो ऐसे में कूलर और एसी बहुत डिमांड में रहते हैं। तो किसी ऐसी कंपनी में इंवेस्ट करें जो ये प्रोडक्ट्स बेचती है और जिनके प्रोडक्ट्स डिमांड में रहते हैं। तो आपको मुनाफा हो सकता है।


2. बिजनेस में करें शेयर

कभी भी शेयर्स की कीमत में इंवेस्ट ना करें बल्कि बिजनेस में इंवेस्ट करें। इसका सबसे अच्छा उदाहरण है कि वॉरेन बफे ने 1988 में कोका कोला में 1 बिलियन डॉलर का निवेश किया था। बदले में कंपनी से उन्हें 10 सालों तक 10 फीसदी रेट से रिटर्न हासिल हुआ।


3. दूसरों की बातों में न आएं

इसके ज़रिए मेरा कहने का मतलब है कि भेड़चाल से दूर रहें। किसी की भी बातों में आकर इंवेस्टमेंट न करें। पहले अच्छे से स्टडी करें। आप किसी एक्सपर्ट से सलाह ले सकते हैं।


4. हमेशा एक्स्ट्रा पैसों को ही इंवेस्ट करें

ये शेयर मार्केट में मुनाफा कमाने का सबसे अच्छा नियम होता है। हमेशा अपने अतिरिक्त फंड को इंवेस्ट करें यानि जो पैसा आपको छोटी अवधि में नहीं चाहिए। कई बार वेल्यू घट जाती है और पैसों की ज़रूरत के कारण हम कम पैसों में अपने शेयर्स बेच देते हैं। ऐसा कभी न करें।


5. बाजार पर नज़र रखें

सिर्फ इंस्वेस्ट करके मुनाफे का इंतज़ार करना सही कदम नहीं है। ज़रूरी है कि आप मार्केट पर अपनी नज़र रखें। ध्यान दें कि कब शेयर्स गिर रहे हैं, कब इनमें उछाल आ रहा है। न्यूज़पेपर पढ़ें, टीवी चैनल्स देखें ताकि आप अपने शेयर्स का ध्यान रख सकें।


Conclusion

दोस्तों, मैंने अपने आर्टिकल के ज़रिए आप सभी को बेहद आसान भाषा में शेयर मार्केट के बारे में समझाने की कोशिश की है। ताकि आप गलत जगह इंस्वेटमेंट करने से बचें।


इस आर्टिकल में शेयर मार्केट क्या है, इतिहास, इंस्वेटमेंट कैसे करें जैसे सारे टॉपिक्स को कवर किया गया है। साथ ही हमने इसमें कुछ बाजार की टर्म्स भी बताई है ताकि आपको समझने में ज़्यादा आसानी हो।

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